"ईरान पर निशाना: इजराइल को समर्थन देकर क्या साध रहा है अमेरिका?"
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By Admin
Published - 14 June 2025 5 views
इजराइल ने ईरान के कई ठिकानों को निशाना बनाने के बाद दावा किया है कि उसका यह ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा अटैक है. ईरान ने भी इजराइल को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है. इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर ऐसे वक्त पर हमले किए हैं, जब अमेरिका ईरान से परमाणु कार्यक्रम रद्द करने के लिए बार-बार कह रहा था. यहां तक कि उसने ईरान को चेतावनी भी दी थी कि परमाणु कार्यक्रम रद्द न करने पर अंजाम भुगतना पड़ सकता है.इसके बाद ही उसके सबसे करीबी इजराइल ने ईरान पर अटैक किया है, जिससे अमेरिका ने पल्ला तो झाड़ लिया है पर पूरी दुनिया जानती है कि इन हमलों के पीछे कौन है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका इजराइल की इतनी मदद क्यों कर रहा? ऐसा क्या फायदा हो रहा? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
इतनी मदद करता है अमेरिका
यह साल 2020 की बात है. तब इजराइल को अमेरिका ने 3.8 बिलियन डॉलर की मदद की थी. यह वह मदद थी, जिसका वादा कभी बराक ओबामा की सरकार ने इजराइल से किया था. दरअसल, साल 2017 में ओबामा की सरकार ने इजराइल के साथ 38 बिलियन डॉलर के पैकेज के एक समझौते पर इजराइल के साथ हस्ताक्षर किए थे.
साल 2017 में लागू हुए इस समझौते की वैधता साल 2028 तक है. इसी समझौते के चलते तब से अमेरिका की ओर से इजराइल को सालाना आर्थिक मदद दी जा रही है. यही नहीं, दूसरे देशों के यहूदियों को इजराइल में लगातार शरण मिलती है. इन शरणार्थियों को बसाने के लिए अमेरिका ने साल 2020 में इजराइल को पांच मिलियन डॉलर की मदद दी थी.
इजराइल की सेना पर बड़ा खर्च
साल 2020 में दी गई 3.8 बिलियन डॉलर की मदद में से 500 मिलियन डॉलर केवल मिसाइल डिफेंस सिस्टम आयरन डोम पर खर्च की गई. यह डिफेंस सिस्टम इजराइल पर दागी गई मिसाइलों को हवा में नष्ट करने में सक्षम है. इस सिस्टम पर अमेरिका ने साल 2011 में निवेश करना शुरू किया था और 2020 तक इस पर 1.6 बिलियन डॉलर लगा चुका है.
ऐसे ही अंकल सैम यानी संयुक्त राज्य अमेरिका ने साल 2022 में इजराइल को 3.3 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद मुहैया कराई थी. इनमें से केवल 8.8 मिलियन डॉलर इजराइल ने अपने देश की अर्थव्यवस्था पर खर्च किए. बाकी मदद इजराइली सेना के लिए थी. इनमें सुरंगों का पता करने की तकनीक, सैन्य उपकरणों का रखरखाव और सेना की ट्रेनिंग तक शामिल हैं.
कई कारणों से अमेरिका देता है मदद
दरअसल, इजराइल को अमेरिकी मदद के कई कारण हैं. साल 1948 में अमेरिका ने ही एक अलग यहूदी देश बनाने में मदद का भरोसा दिलाया था. तभी से इस मदद का सिलसिला जारी है. साल 1948 में इजराइल के गठन पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने इसको मान्यता दी थी. इसका कारण व्यक्तिगत संबंध थे.
ट्रूमैन के पुराने बिजनेस पार्टनर एडवर्ड जैकबसन ने इजराइल को एक देश के रूप में अमेरिकी मान्यता दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई थी. यह दूसरे विश्व युद्ध के खात्मे के तुरंत बाद की बात है और अमेरिका-सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध चल रहा था. इस युद्ध की लड़ाई का मैदान तब मिडल ईस्ट बना था, जो अपने तेल और रणनीतिक जलमार्क जैसे सुएज नहर के चलते दोनों ही महाशक्तियों के लिए महत्वपूर्ण था. तब अमेरिका कमजोर हो चुकीं तमाम यूरोपीय शक्तियों के ऊपर मिडिल ईस्ट में पश्चिमी ब्रोकर बनकर उभरा था.
इसकी जड़ें साल 1967 में हुए युद्ध तक पहुंचीं, जिसमें इजराइल ने अपने कमजोर दुश्मनों इजिप्ट, सीरिया और जॉर्डन को हराया तो साथ ही ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तनी के बचे हिस्से पर कब्जा जमा लिया. सीरिया और इजिप्ट के कुछ हिस्से पर भी कब्जा किया था. तब से इस इलाके में इजराइल की सैन्य सुपीरियरिटी बनाए रखने के लिए अमेरिका उसकी मदद करता है, जिससे खुद उसकी सैन्य सुपीरियरिटी इलाके में बनी रहे.
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